कुछ कहना हें , मेरे प्यार के फरिश्ते आज तुझसे ,
जब आ रही थी तेरे दिल मे
तो कुछ पूछा नहीँ तूने मुझसे
अब जाने की इजाज़त यूँ ना दें
न दूर कर ए-बेवफा खुद को मुझसे!!!
अब हुक्म पे हुक्म तो देता हें मगर ओ परवाने सुन ,
राहें मुहब्बत मे कहाँ हुई नाकाम
एक वाजिब बहाना तो दें
इन झुकी नज़रों को मिला कर मुझ से !!
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